सीता ही नहीं इन स्त्रियों पर भी थी रावण की बुरी नज़र


वैसे तो टेलीविजन पर रामायण सबने देखी होगी लेकिन रावण से जुड़े हुए कुछ रहस्य हममें से बहुत कम लोग जानते होंगे। आज हम आपको रावण से जुड़े कई ऐसे रहस्य बताने जा रहे हैं जिसे शायद आप लोग न जानते होंगे। सबसे पहली बात यह कि रावण का नाम रावण नहीं था। यह एक पद था, राक्षसों के महाराजा को रावण पद से अलंकृत क्या जाता है, रावण का असली नाम दशग्रीव था, क्योंकि वह दस सरों वाला असाधारण बालक था। रावण एक प्रकांड पंडित था, वह रसायन और भौतिक शास्त्र का अलौकिक ज्ञाता था, वह धरती पर जन्मा प्रथम वैज्ञानिक था। कुबेर से पाये पुष्पक विमान में भी उसने कई प्रयोग किये थे। रावण को चारों वेदों का ज्ञाता कहा गया है। रावण भगवान शंकर का अनन्य भक्त था। लेकिन ज्ञानी पंडित होने के बावजूद उसका चरित्र और आचरण ठीक नहीं था। भगवान राम की धर्मपत्नी माँ सीता को रावण ने पंचवटी से अपहरण कर दो वर्ष तक कैद कर रखा था। रावण ने सीता के अलावा भी कई स्त्रियों पर अपनी बुरी नज़र डाली थी। आइए आपको बताते हैं कौन थी वो स्त्रियां जिनपर थी रावण की बुरी नज़र।

रम्भा
रम्भा एक नर्तकी है, जो स्वर्गलोक में इन्द्रदेव की सभा मे गायन और वादन किया करती है। रम्भा कश्यप और प्राधा की पुत्री थी। रंभा अपने रूप और सौन्दर्य के लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी। इन्द्र रम्भा को ऋषियों की तपस्या भंग करने के लिये भेजा करता था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्गलोक पहुंचा तो उसने वहां रम्भा को नृत्य करते हुए देखा। कामातुर होकर उसने रम्भा को पकड़ लिया। तब अप्सरा रम्भा ने कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं लेकिन रावण ने उसकी बात नहीं मानी और रम्भा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दे दिया तुझे न चाहने वाली स्त्री से तू बलात्कार करेगा, तब तुझे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा।

माया

माया रावण की पत्नी की बड़ी बहन थी। रावण उस पर भी गन्दी नज़र रखता था। माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे। एक दिन रावण शंभर के यहां गया। वहां रावण ने माया को अपनी बातों में फंसाने का प्रयास किया। इस बात का पता लगते ही शंभर ने रावण को बंदी बना लिया। उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में शंभर की मृत्यु हो गई। जब माया सती होने लगी तो रावण ने उसे अपने साथ चलने को कहा। तब माया ने कहा कि तुमने वासनायुक्त होकर मेरा सतीत्व भंग करने का प्रयास किया इसलिए मेरे पति की मृत्यु हो गई अतः तुम्हारी मृत्यु भी इसी कारण होगी।

तपस्विनी
एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था। तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी ने उसी क्षण अपनी देह त्याग दी और रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी।

सीता
भगवान राम की पत्नी मां सीता को पंचवटी के पास लंकाधिपति रावण ने अपहरण करके 2 वर्ष तक अपनी कैद में रखा था लेकिन इस कैद के दौरान रावण ने माता सीता को छुआ तक नहीं था। इसका कारण रम्भा द्वारा दिया गया शाप था। रावण जब सीता के पास विवाह प्रस्ताव लेकर गया तो माता ने घास के एक टुकड़े को अपने और रावण के बीच रखा और कहा, ’हे रावण! सूरज और किरण की तरह राम-सीता अभिन्न हैं। राम व लक्ष्मण की अनुपस्थिति में मेरा अपहरण कर तुमने अपनी कायरता का परिचय और राक्षस जाति के विनाश को आमंत्रित कर दिया है। तुम्हारा श्रीरामजी की शरण में जाना इस विनाश से बचने का एकमात्र उपाय है अन्यथा लंका का विनाश निश्चित है।’

1 टिप्पणी:

कविता रावत ने कहा…

रामायण और महाभारत में ऐसी ही बहुत सी लघु कथाएं हैं जिन्हें मूल कथा पर जन मानस का विश्वास बना रहें शायद इसलिए ज्यादा चर्चा नहीं होती उन पर ...

अच्छी प्रस्तुति